छ्पी-अनछ्पी: क्या ललन सिंह हटेंगे और जदयू का राजद में होगा विलय? सीवान में ओवैसी की पार्टी के नेता का मर्डर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। आज अलग-अलग अखबारों ने अलग-अलग खबरों को पहली जगह दी है लेकिन भास्कर ने इस गरमा गरम बहस को प्रमुखता दी है कि क्या जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को हटाया जाएगा और जदयू का राजद में विलय होगा। सीवान में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के जिला अध्यक्ष के मर्डर की खबर भी प्रमुख है।

भास्कर ने लिखा है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह यह पूछे जाने पर भड़क गए कि सुशील कुमार मोदी बोले हैं कि उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुशील मोदी जी को दूसरी पार्टियों में ताक झांक करने की आदत है। ललन शनिवार को मीडिया से मुखातिब थे। ध्यान रहे कि 29 दिसंबर को जदयू की दो महत्वपूर्ण बैठक दिल्ली में होने जा रही है। चर्चा है कि ललन सिंह की जगह जदयू का अध्यक्ष किसी और को बनाया जाएगा ताकि वह अपने चुनाव क्षेत्र पर ध्यान दे सकें।

राजद में विलय का शिगूफ़ा

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जदयू का राजद में जल्द विलय होने की बात कही है। इस पर दोनों पार्टियों भड़क गई हैं। दोनों पार्टी के नेताओं ने कहा कि गिरिराज बहुत परेशान हैं। अपने आका को खुश करने और लाइमलाइट में आने के लिए कुछ भी बोल रहे हैं। गिरिराज सिंह के बयान पर उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘इंडिया’ के चलते भाजपा में बेचैनी है। “हम एकजुटता के साथ भाजपा से लड़ेंगे। अगर ऐसे सनसनीखेज दावे नहीं होंगे तो गिरिराज राजनीतिक सुर्खियों में कैसे रहेंगे।” इस मुद्दे पर जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि गिरिराज की बातों को छोड़िए, उनकी अपनी टीआरपी है। “वह इसी पर चलते हैं। कुछ बोलना है इसलिए बोलते रहते हैं।”

सीवान में एमआईएम नेता का मर्डर

सीवान के हुसैनगंज थाना क्षेत्र के कुतुब छपरा मोड़ के पास स्थित फास्ट फूड की दुकान पर शनिवार की रात करीब 8:30 बजे बाइक सवार तीन बदमाशों ने असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के जिला अध्यक्ष आरिफ जमाल की गोली मारकर हत्या कर दी। एक गोली आरिफ जमाल के पेट में लगी। गोली लगने से आरिफ गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उन्हें सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें रेफर कर दिया गया, लेकिन उनकी मौत हो गई। हुसैनगंज थानाध्यक्ष विजय यादव ने बताया कि घटना के संबंध में रिश्तेदारों से जानकारी ली जा रही है।

भाजपा बनाएगी पांच सीटों का क्लस्टर

जागरण की खबर है कि लोकसभा चुनाव में 50% से अधिक वोट पाने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा इस बार नई रणनीति के साथ उतारने जा रही है। लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माइक्रो लेवल प्लानिंग का जो चुनावी मंत्र दिया है उसे धरातल पर उतरने के लिए पार्टी के रणनीतिकार गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूरा खाका  खींच लिया है। तय किया है कि इस बार पांच पांच लोकसभा सीटों का क्लस्टर बनाकर चुनावी रणनीति तैयार की जाएगी।

कांग्रेस में ज़िम्मेदारी बदली

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संगठन की कमान संभालने के सवा साल बाद अहम संगठनात्मक बदलाव करते हुए 2024 की अपनी चुनावी टीम गठित कर दी है। इसमें सबसे अहम बदलाव यह है कि प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी नहीं संभालेंगी और बिना किसी दायित्व के पार्टी महासचिव बनी रहेगी। अविनाश पांडे यूपी के नए प्रभारी महासचिव बनाए गए हैं। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को पहली बार महासचिव बनाकर छत्तीसगढ़ का जिम्मा सौंपा गया है।

हिंदी बोलने वालों का अपमान

प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर है: हिंदी बोलने वाले बिहारी साफ करते हैं शौचालय: दयानिधि। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके के एक और नेता ने एक बार फिर हिंदी भाषी लोगों को लेकर विवादित टिप्पणी की है। डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने कहा है कि यूपी और बिहार से हिंदी भाषी लोग तमिलनाडु आते हैं और सड़कें और शौचालय साफ करते हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग यहां पर कंस्ट्रक्शन से जुड़े छोटे-मोटे काम करते हैं। दरअसल उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह एक सार्वजनिक सभा में बिहार और यूपी के हिंदी भाषी लोगों के बारे में तमिल में यह टिप्पणी कर रहे हैं। उनके इस बयान पर बवाल मचा हुआ है। भाजपा, राजद और जदयू समेत कई पार्टियों ने उनके बयान पर सख्त टिप्पणी की है।

क़ानून के बावजूद 13 लाख तलाक़

भास्कर की खबर है: ट्रिपल तलाक़ अवैध, फिर भी पांच साल में आए तेरह लाख केस। अख़बार लिखता है कि देश में ट्रिपल तलाक अवैध घोषित हुए 5 साल से अधिक  समय हो गया है। फिर भी इसके मामले थम नहीं रहे। कानून मंत्रालय के अनुसार इस साल भी एक लाख 57725 मुस्लिम महिलाएं इसका शिकार हुईं। अधिकांश गरीब परिवारों की थीं। 19 सितंबर 2018 को कानून लागू होने के बाद ट्रिपल तलाक की 13 लाख 7000 शिकायत दर्ज हुई हैं। 2019 में तीन तलाक की 2.69 लाख शिकायतें आई थी। 2020 में यह संख्या घटकर 95 हजार रह गई लेकिन 2021 में 5.41 लाख पहुंच गई और 2022 में कुल 2.45 लाख केस आए। यह वे मामले हैं जिनमें महिलाओं को विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से कानूनी सहायता दी गई।

कर्नाटक का हिजाब विवाद

जागरण ने खबर दी है कि कर्नाटक में हिजाब को लेकर सियासत फिर से तेज हो गई है। भाजपा के सवाल उठाने पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार राज्य में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगे रोग को हटाने पर भी सिर्फ विचार कर रही है। विचार विमर्श के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमने अभी ऐसा किया नहीं है। किसी ने हिजाब पर रोक हटाने को लेकर सवाल किया था तो मैंने कहा था कि सरकार इसे हटाने पर विचार कर रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या यह इसी शैक्षणिक सत्र में किया जाएगा मुख्यमंत्री ने कहा की चर्चा के बाद यह किया जाएगा। मुख्यमंत्री का यह स्पष्टीकरण उनके उस बयान के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और पसंद के कपड़े पहनना और भोजन का चयन व्यक्तिगत मामला है।

कुछ और सुर्खियां:

  • शिक्षक भर्ती: कक्षा 6 से 10 के 9 विषयों के रिजल्ट में 18642 पास
  • मनरेगा मजदूरों की अब चेहरे से बनेगी हाजिरी
  • मोहन प्रकाश बने बिहार कांग्रेस के प्रभारी
  • फर्जी वीडियो वायरल करने वाला यूट्यूबर मनीष कश्यप 9 माह बाद जेल से रिहा
  • लैंड फॉर जॉब मामले में ईडी ने तेजस्वी को फिर भेजा समन, 5 को दिल्ली बुलाया
  • उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को विदेश यात्रा की मिली इजाजत
  • लोकसभा चुनाव के लिए 5 जनवरी को होगा मतदाता सूची का प्रकाशन
  • इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए फॉर्म एक व फॉर्म चार जारी
  • अमेरिका में खालिस्तान समर्थकों ने स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे

अनछपी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा 2018 में ट्रिपल तलाक बिल पास किए जाने के बाद 5 साल में 13 लाख तलाक के केस आने की खबर है। यह संख्या रेकॉर्ड में आए मामलों की है। जो मामले रेकॉर्ड में नहीं आए हैं उन्हें जोड़ा जाएगा तो जाहिर है यह संख्या और अधिक होगी। इसके उलट जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का मामला है जो 14 साल से अपनी पत्नी से अलग रह रहे हैं लेकिन अदालत उन्हें तलाक की इजाजत नहीं दे रही है। तलाक की अधिकता और तलाक लेने में परेशानी हमारे समाज की ऐसी सच्चाई है जो हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या शादी और तलाक जैसे मुद्दे सिर्फ कानून से हल हो सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहे जो दावे करें लेकिन मुस्लिम समुदाय का यह मानना था कि यह कानून सही नहीं है। अगर प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा यह समझाना चाहती थी कि कानून बनाकर ट्रिपल तलाक की समस्या का हल निकाला जा सकता है तो आंकड़े बता रहे हैं कि उनकी सोच सही नहीं थी। ताजा आंकड़ों में इस बात का जिक्र नहीं है कि तेरह लाख केस में कितने पतियों को गिरफ्तार किया गया। तलाक के मामले में केस करने वाली मुस्लिम महिलाओं की समस्या यह है कि अगर वह केस करती हैं तो उनका पति जेल जाता है जिससे उनकी परेशानी में और इजाफा ही होता है। अगर वह केस नहीं करती हैं तो भी उनकी परेशानी कम नहीं होती। इन आंकड़ों से हमें सीख मिलती है कि कानून बनाने से नहीं बल्कि जागरूकता फैलाने से इस समस्या पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। समाज में तलाक एक सच्चाई है और उसे मनाना चाहिए लेकिन यह बात-बात पर हो यह भी सही नहीं है। दूसरी तरफ तलाक के लिए लोगों को 14-14 साल तक इंतजार करना पड़े, यह रिश्ता निभाने वाली बात नहीं है। हमें यह भी सोचना चाहिए कि जब शादी सरकार नहीं कराती तो तलाक के मुद्दे वह क्यों हल कराने में इतनी ज्यादा दिलचस्पी रखती है। सरकार और भारतीय जनता पार्टी के लिए यह सोचने की बात है कि हर काम कानून से नहीं होता, इसके लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है जिसकी भारी कमी देखी जा रही है। मुस्लिम समाज को भी इस दिशा में काम करना चाहिए कि आखिर उनके यहां तलाक की समस्या कैसे हल हो।

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