छ्पी-अनछ्पी: हैदराबाद भेजे गए बिहार के कांग्रेस विधायक, लद्दाख में राज्य के दर्जे के लिए प्रदर्शन

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में 12 फरवरी को विश्वास मत पेश होना है। इसके मद्देनजर बिहार कांग्रेस के विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया है। लद्दाख में राज्य के दर्जे की मांग के लिए ज़बर्दस्त प्रदर्शन हुआ है। उधर झारखंड में आज विश्वास मत पेश किया जाएगा। मास्को स्थित भारतीय दूतावास में तैनात कर्मचारी सतेंद्र सिवाल को आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इन खबरों को सभी अखबारों में जगह मिली है।

जागरण की खबर है: टूट की आशंका के बीच हैदराबाद भेजे गए कांग्रेस के विधायक। हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: हैदराबाद भेजे गए सूबे के कांग्रेस विधायक। भास्कर की पहली खबर है: कांग्रेस ने पहले बिहार के विधायकों को दिल्ली में रोका, फिर हैदराबाद भेजा। अख़बार लिखता है कि तू डाल-डाल मैं पात-पात। बिहार में सत्ता और विपक्ष के बीच यह खेल जारी है। नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद बनी एनडीए की नई बिहार सरकार 12 फरवरी को बहुमत साबित करेगी। राजद कहता रहा है कि विश्वास मत के समय कुछ भी हो सकता है। सत्ता पक्ष का भी बैकअप प्लान तैयार है। टारगेट कांग्रेस है। इसी ने आला कमान की नींद उड़ा रखी है। 2020 में जिस तरह बसपा से जीत कर मंत्री बनने के लिए जमा खान जदयू में शामिल हो गए थे, वैसी ही महत्वकांक्षा दो कांग्रेसी विधायकों ने भी पाल रखी है। एहतियातन कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने शनिवार को दिल्ली बुलाए गए पार्टी के 16 विधायकों को वहीं रोक लिया। बाद में उन्हें हैदराबाद भेज दिया। 11 फरवरी तक यह विधायक वही रहेंगे।

लद्दाख में प्रदर्शन

भास्कर की खबर है: लद्दाख को मिले राज्य का दर्जा, माइनस 8 डिग्री में लेह के पोलो ग्राउंड में 30 हजार लोगों ने निकाला मार्च। लद्दाख को राज्य के दर्जे की मांग को लेकर शनिवार को लेह में माइनस 8 डिग्री की सर्दी में 30 हज़ार लोगों ने मार्च निकाला और पोलो ग्राउंड पर रैली की। पूरे लद्दाख में बंद रखा गया। लद्दाख के दूर दराज के क्षेत्र से लोग रैली में शामिल हुए। मशहूर शिक्षाविद् सोनम वांगचुक ने रैली में कहा कि केंद्र सरकार बिना देरी किए लद्दाख को राज्य का दर्जा प्रदान कर स्वायत्तता के लिए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करे। लद्दाख 2019 के बाद से केंद्र शासित प्रदेश है।

झारखंड में फ्लोर टेस्ट आज

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: आज चंपाई सरकार का बहुमत परीक्षण। झारखंड में चंपाई सोरेन सरकार पर सोमवार को विश्वास मत पर मतदान होगा। सबसे पहले राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन का अभिभाषण होगा। इसके बाद मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाएंगे। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी विश्वास मत में वोट करेंगे। ईडी कोर्ट ने उन्हें पहले ही इसकी अनुमति प्रदान कर दी है। मतदान को लेकर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपनी पार्टी के विधायकों के लिए अलग-अलग व्हिप जारी किया है। झारखंड के 81 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए कुल 41 का समर्थन चाहिए। चंपई के समर्थन में कुल 49 विधायक हैं जिनमें 43 के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र राज्यपाल को सोपा गया है।

आईएसआई के लिए जासूसी करने वाला गिरफ्तार

जागरण की पहली खबर है: मास्को स्थित भारतीय दूतावास में तैनात कर्मचारी सतेन्द्र सिवाल को रविवार को यूपी एटीएस ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में मेरठ से गिरफ्तार कर लिया। हापुड़ के इस जासूस पर एटीएस लंबे समय से निगाह रख रही थी। वह विदेश मंत्रालय में मल्टी टास्किंग स्टाफ के रूप में सुरक्षा सहायक के पद पर तैनात था और 2 साल पहले डेपुटेशन पर मास्को भेजा गया था।

एनआईटी पटना में बढ़ेंगी सीटें

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: एनआईटी पटना में बढ़ेंगी एक हज़ार सीटें: सीएम। एनआईटी पटना में एक हजार सीटें और बढ़ेंगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को यहां कहा कि हम जब इस कॉलेज में पढ़ते थे, तो इसकी क्षमता पांच सौ थी, जो अब बढ़कर पांच हजार हो गई है। बिहटा में इसका दूसरा कैंपस 125 एकड़ में बन रहा है। इसके बन जाने के बाद क्षमता को छह हजार करा दें। इतनी बड़ी संख्या में देश में कहीं और नामांकन नहीं होता है। मुख्यमंत्री रविवार को एनआईटी परिसर में बीसीई-एनआईटी के पूर्ववर्ती छात्र मिलन समारोह का उद्घाटन करने के बाद अपनी बात रख रहे थे।

सांप्रदायिक बयानबाज़ी के खिलाफ

भास्कर की सुर्खी है: सांप्रदायिक बयानबाजी देश के अल्पसंख्यकों दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के खिलाफ अत्याचार: मौलाना कासमी। ऑल इंडिया मिली काउंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर रहमान कासमी ने कहा कि देश के विकास के लिए संविधान की सर्वोच्चता और न्यायपालिका की स्वतंत्रता जरूरी है। फुलवारी शरीफ के हारून नगर सेक्टर 2 स्थित कम्युनिटी हॉल में ‘दस्तूर बचाओ मुल्क बचाओ’ विषय पर सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए मौलाना कासमी ने कहा कि सांप्रदायिक बयानबाजी अल्पसंख्यकों, दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के खिलाफ अत्याचार और हिंदुत्व का खुला निमंत्रण भारत की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के लिए गंभीर चुनौती है। उन्होंने कहा कि देशभर के राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्र में अल्पसंख्यक वर्ग की भावनाओं को शामिल करें। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ माहौल बन रहा है। फुलवारी शरीफ के विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि देश को हिंदू राष्ट्र बनाया जा सके लेकिन यह याद रखें कि एक भी संप्रदाय परेशान होगा तो यह देश विकसित नहीं हो सकता।

पूंजीपतियों की केंद्र सरकार: राहुल

राहुल गांधी ने रविवार को धनबाद में कहा कि भाजपा सबकुछ बेच देगी। भाजपा के लोग नफरत व हिंसा फैला रहे हैं। केंद्र सरकार पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा दो-तीन अरबपतियों के लिए ही काम कर रही है। मतलब यह कि पूजीपतियों को ही न्याय मिल रहा है। कांग्रेस देश के प्रत्येक वर्ग के साथ न्याय की पक्षधर है। झारखंड के आदिवासियों के हितों की भी कांग्रेस ही रक्षा कर सकती है।

कुछ और सुर्खियां

  • पटना समेत 26 जिलों में बारिश वह बिजली गिरने का अलर्ट
  • राष्ट्रीय जनता दल ने 41 जिला प्रभारी व तीन नए अध्यक्ष नियुक्त किया
  • बिहार में निष्क्रिय खातों में 2600 करोड़ रुपए की राशि, खाताधारकों को की जाएगी वापस
  • उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड की ड्राफ्ट रिपोर्ट को कैबिनेट ने दी मंजूरी
  • कश्मीर में बर्फबारी से जनजीवन ठप सभी उड़ानें रद्द
  • अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं ने यमन में हूती नियंत्रित क्षेत्रों पर हमले किए

अनछपी: लद्दाख को राज्य के दर्जे की मांग के लिए जो प्रदर्शन लेह में हुआ उसकी सही कवरेज मीडिया में नहीं आ सकी है। भारत में बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्हें यह बात याद भी नहीं होगी कि 2019 में जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की समाप्ति के बाद लद्दाख को एक अलग केंद्र प्रशासित क्षेत्र घोषित किया गया था। ध्यान रहे कि लद्दाख चीन के अतिक्रमण के कारण खबरों में रहता आया है लेकिन दूर दराज होने की वजह से इस पर चर्चा कम होती है। इस तरह जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोग पिछले पांच सालों से बिना चुनी हुई सरकार के साथ जीवन गुजार रहे हैं। वहां की सरकार का काम वास्तव में भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकारी कर रही है। विश्व गुरु और लोकतंत्र की जननी होने का दावा करने वाले भारत में इतनी बड़ी आबादी को लोकतंत्र से वंचित रखा गया है लेकिन इस पर मेनस्ट्रीम मीडिया में चर्चा नहीं दिखाई देती। अब जबकि लद्दाख में इतना बड़ा प्रदर्शन हुआ है तो सोशल मीडिया पर तो इसकी चर्चा है लेकिन अखबारों और टेलीविजन चैनलों पर इस कोने में धकेल दिया गया। जम्मू कश्मीर से राज्य का दर्जा वापस लेने का फैसला केंद्र सरकार का था और यह उसी की जिम्मेदारी है कि इस दर्जे को बहाल करे। सोचने की बात यह है कि क्या उत्तर प्रदेश और बिहार में इस तरह राज्य का दर्जा वापस लिया जाए तो यहां के लोग बर्दाश्त करेंगे? लद्दाख का प्रदर्शन केंद्र सरकार के लिए एक संकेत है कि वह जल्द से जल्द उसे इलाके को राज्य का दर्जा दे। लद्दाख की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे लोकतंत्र की मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश जितनी जल्दी की जाएगी उतना ही देश का भला होगा। यही बात जम्मू कश्मीर पर भी लागू होती है जहां के लोग बेसब्री से राज्य का दर्जा वापस होने की आस लगाए बैठे हैं। इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि वहां राज्य के दर्जा के साथ-साथ स्वायत्तता की भी मांग हो रही है। केंद्र सरकार को इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए।

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