छ्पी-अनछ्पी: बिहार से यूपी-हिमाचल तक बीजेपी का खेला, पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। भारतीय जनता पार्टी ने बिहार से लेकर यूपी और हिमाचल प्रदेश तक में खेला किया है। बिहार में जहां उसने कांग्रेस के दो और राजद के एक विधायक को अपने पाले में कर लिया तो वहीं उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कराई। आज के अखबार उनकी खबरों से भरे पड़े हैं। एक और महत्वपूर्ण खबर यह है कि बाबा रामदेव की पतंजलि को गलत विज्ञापन देने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है।

बिहार के कांग्रेस व आरजेडी के तीन विधायकों के भाजपा में शामिल होने की खबर सभी अखबारों की लीड है। भास्कर की सुर्खी है: महागठबंधन को झटके पे झटका। अख़बार लिखता है कि बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद महागठबंधन को झटका पर झटका लग रहा है। उसके तीन विधायकों ने मंगलवार को फिर पाला बदल लिया। सभी एनडीए के साथ हो गए। विधानसभा की दूसरी पाली में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के पीछे तीन- आरजेडी की मोहनिया से विधायक संगीता कुमारी, कांग्रेस के विक्रम से विधायक सिद्धार्थ गौरव और कांग्रेस के ही चेनारी से विधायक मुरारी प्रसाद गौतम भगवा पट्टा धारण किए सदन में प्रवेश किया और ट्रेजरी बेंच की तरफ बैठ गए। संकेत साफ है भविष्य में तीनों भाजपा का अंग बनेंगे। इससे पहले 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट के समय राजद के तीन विधायक प्रह्लाद यादव, नीलम देवी और चेतन आनंद सत्ता पक्ष के हो गए थे।

यूपी और हिमाचल में क्रॉस वोटिंग

हिन्दुस्तान के अनुसार उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में राज्यसभा की 15 सीटों के लिए मंगलवार को हुए चुनाव में भारी उलटफेर हुआ। बागी विधायकों की क्रॉस वोटिंग के चलते नतीजों का गणित ही बदल गया। परिणाम यह रहा कि भाजपा ने 15 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की। हिमाचल में कांग्रेस के कद्दावर नेता अभिषेक मनु सिंघवी हार गए। उत्तर प्रदेश में मतदान में सपा विधायकों ने जमकर क्रॉसवोटिंग की। सपा के विधानसभा में मुख्य सचेतक मनोज पाण्डेय समेत सात विधायकों ने खुलकर भाजपा के पक्ष में वोट किया। सपा की एक विधायक महाराजी प्रजापति ने मतदान में शामिल न होकर भाजपा की मदद की। भाजपा के आठ और सपा के दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल की।

हिमाचल की सुक्खू सरकार संकट में

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार मुश्किल में आ गई है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की वजह से पार्टी उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की हार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि, क्रॉस वोटिंग करने वाले पार्टी के छह विधायक अब असंतुष्ट गुट में शामिल हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा का सत्र चल रहा है। बुधवार को बजट पेश किया जाएगा। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को बजट पास कराने में मुश्किल नहीं होगी क्योंकि, सरकार के पास विधानसभा में बहुमत है। पर पार्टी के लिए यह बड़ा झटका है और पार्टी को हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार को आगे बरकरार रखना आसान नहीं होगा।

पतंजलि को फटकार

जागरण की खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद को रोग पूरी तरह ठीक करने के दावे वाले भ्रामक विज्ञापनों और कोर्ट को दिए गए वादे के उल्लंघन पर कड़ी फटकार लगाते हुए अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद व उसके निदेशकों को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों ना उनके विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। उनसे दो सप्ताह में जवाब मांगा गया है। अदालत ने बीमारियों के इलाज के लिए बने कंपनी के उत्पादों के विज्ञापनों या ब्रांडिंग पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। साथ ही कहा है कि केंद्र सरकार आंखें मूंदे बैठी हुई है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की पीठ ने यह आदेश पतंजलि आयुर्वेद को उसके उत्पादों की प्रभावकारिता के बारे में भ्रामक दावे करने के मामले में सुनवाई के दौरान दिए।

आरजेडी विधायक के यहां ईडी के छापे

हिन्दुस्तान के अनुसार ईडी ने संदेश से राजद विधायक किरण देवी के पटना और भोजपुर के ठिकानों पर छापेमारी की। मंगलवार सुबह करीब 7 बजे ईडी की टीम भोजपुर के अगिआंव स्थित उनके घर व पटना के गोला रोड के पास मौजूद रंजन पथ के एक अपार्टमेंट में उनके फ्लैट पहुंची व सघन छानबीन की। यह कार्रवाई देर शाम तक चली। यह अपार्टमेंट लालू प्रसाद के परिवार के नाम से स्थित मां मरिछिया देवी कॉम्प्लेक्स के पास ही है। इसमें उनके 5 फ्लैट हैं, जिनमें दो में उनका दफ्तर है। बताया जाता है कि उनका कृषि उत्पाद समेत अन्य चीजों से जुड़ा कारोबार है। छापे के दौरान कई दस्तावेज मिले हैं, जिनमें अनेक स्थानों पर निवेश के अलावा जमीन-जायदाद से जुड़े कागजात शामिल हैं।

भारी चक्कर: वीसी क्या करें

भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: भारी द्वंद्व: राजभवन की रोक,  शिक्षा विभाग का बुलावा… किसे सुनें वीसी। यूनिवर्सिटी के मसले पर राजभवन और शिक्षा विभाग में पावर का पलड़ा किसका भारी है फैसला बुधवार को आयोजित कुलपतियों की बैठक में हो जाएगा। राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच टकराव का विषय बनी इस बैठक का सबको इंतजार है। राजभवन ने बैठक में कुलपतियों के भाग लेने पर रोक लगा रखी है। वहीं उच्च शिक्षा निदेशक ने शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालयों का प्रशासी विभाग बताया है और कुलपतियों व कुलसचिवों को अनिवार्य रूप से बैठक में भाग लेने की हिदायत दी है। साथ ही इसमें कोताही बरतने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। अगर वीसी राजभवन का आदेश नहीं मानते तो उन्हें पद से हटाया जा सकता है और दूसरी ओर शिक्षा विभाग की बात न मानी तो बजट अनुमोदन पर रोक लग सकती है।

कुछ और सुर्खियां

  • सबसे बुजुर्ग सांसद समाजवादी पार्टी के डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क का 93 साल की उम्र में इंतक़ाल
  • मानव मिशन गगनयान से अंतरिक्ष में जाएंगे चार भारतीय
  • 2 मार्च से राशन दुकानों पर भी बनेगा आयुष्मान कार्ड
  • बिहार में यूपी की तर्ज पर बनेगा गैंगस्टर कानून
  • 14 मार्च को किसान महापंचायत में पहुंचेंगे बिहार के हजारों किसान
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज आएंगे बिहार, करेंगे संवाद
  • नौकरी के बदले जमीन मामले में दो हफ्ते में दाखिल होगी चार्जशीट

अनछ्पी: भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को जो कुछ किया वह इस बात का एक और सबूत है कि भारतीय राजनीति में लोक लाज की बात करने का कोई अर्थ नहीं रह गया है। भारतीय जनता पार्टी साफ सुथरी राजनीति की बात करती है लेकिन दूसरे दलों को तोड़ने में उसका कोई जोड़ इस समय भारतीय राजनीति में नजर नहीं आता। भारतीय जनता पार्टी के समर्थक यह दलील दे सकते हैं कि पार्टियों में तोड़फोड़ का काम पहले भी होता था लेकिन फिर पार्टी विद डिफरेंस कहने का क्या मतलब रह जाता है? कुल मिलाकर देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी को भी राजनीति में अनैतिक कदम उठाने में कोई गुरेज नहीं है। यह सही है कि बिहार में तेजस्वी यादव ने खेल बाकी होने की बात कही थी लेकिन असल खेला तो भारतीय जनता पार्टी खेल रही है। आरजेडी के जो तीन विधायक विश्वास मत के दौरान पार्टी छोड़कर सत्ता पक्ष के साथ बैठे थे। अब एक और आरजेडी विधायक बीजेपी के साथ बैठ चुकी हैं। देखना होगा कि आरजेडी इन चारों विधायकों के दल बदल पर क्या कदम उठाता है। दूसरी तरफ कांग्रेस के दो विधायक भाजपा के साथ बैठे हैं और यह क्या लगाया जा रहा है कि उसके कुछ और विधायक भाजपा के साथ जुड़ सकते हैं। कांग्रेस को दूसरी चुनौती हिमाचल प्रदेश में मिली है जहां उसके 6 विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार के पक्ष में वोट दिया और इससे कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की हार गए। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने का यह सिलसिला कोई नया नहीं है और कांग्रेस के लिए यह गंभीर चुनौती है। उधर उत्तर प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी को समाजवादी पार्टी के विधायकों से राज्यसभा चुनाव में वोट मिले हैं। यह क्रॉस वोटिंग समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए भी चुनौती है। अब सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी को क्रॉस वोटिंग या दूसरे दलों के विधायकों को अपने पाले में करने की क्यों जरूरत पड़ रही है? भारतीय जनता पार्टी कह सकती है कि जिन नेताओं को अपना भविष्य कांग्रेस या दूसरे दलों में नजर नहीं आ रहा वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं। यह उसकी विपक्ष को कमजोर करने की रणनीति भी है। लेकिन यह सवाल भी है कि क्या भारतीय जनता पार्टी के पास अपने योग्य नेता नहीं हैं कि उसे दूसरे दलों से नेता उधार में लेने पड़ रहे हैं। भारतीय राजनीति के इस गंदे खेल में ये सभी बातें संभव हैं और इसमें प्रभावित दलों को रोने धोने से कोई फायदा होने वाला नहीं बल्कि ऐसा लगता है कि जैसे को तैसा नीति अपनाना ही उनके लिए उपाय है।

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