छपी-अनछपी: लालू, राबड़ी व तेजस्वी को समन, लोकसभा में भाजपा सांसद के बिगड़े बोल

बिहार लोक संवाद डॉट नेट पटना। जमीन के बदले नौकरी देने के कथित घोटाले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत 17 लोगों को समन जारी करने की खबर सभी जगह प्रमुखता से ली गई है। लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल की भी अच्छी कवरेज है। साथ लगी तस्वीर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बसपा सासंद कुंवर दानिश अली (गुलाबी शर्ट में) से मुलाकात।

हिन्दुस्तान, जागरण व प्रभात खबर की मेन हेडलाइन एक ही मुद्दे पर है: भूमि के बदले नौकरी घोटाले में लालू, राबड़ी, तेजस्वी समेत 17 को समन। नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में दिल्ली की अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत 17 आरोपितों को समन जारी किया है। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश गीताजंलि गोयल की अदालत ने इस मामले में लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत 17 आरोपितों को चार अक्टूबर को पेश होने के निर्देश दिए हैं। सीबीआई के अनुसार तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री, उनकी पत्नी, बेटे, पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के तत्कालीन जीएम, डब्ल्यूसीआर के दो सीपीओ, निजी व्यक्तियों सहित 17 आरोपितों के खिलाफ दूसरा आरोपपत्र अदालत में दायर किया था।

बिधूड़ी के बिगड़े बोल

भास्कर की खबर है: जहरीले बोल ने नई संसद की पवित्रता भंग कर दी। हिन्दुस्तान के अनुसार दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के सदन में आपत्तिजनक बयान पर सियासत गरमा गई है। बसपा सांसद दानिश अली के खिलाफ बिगड़े बोल पर लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें चेतावनी दी है। भाजपा ने भी कारण बताओ नोटिस जारी किया। वहीं, दानिश अली ने स्पीकर को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। विभिन्न दलों ने बयान की निंदा की है। अमरोहा से लोकसभा सांसद दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा, वह बिधूड़ी के खिलाफ नियम 222, 226 और 227 के तहत नोटिस देना चाहते हैं। दानिश के मुताबिक, बिधूड़ी ने लोकसभा में उनके खिलाफ आतंकवादी, उग्रवादी और आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।

“बिधूड़ी को सस्पेंड क्यों नहीं किया?”

भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के बयान की सभी राजनीतिक दलों ने निंदा की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ऐसे बयान संसद के सभी सदस्यों का अपमान करने वाले हैं। आरोपी सांसद को उनके बयानों के लिए लोकसभा से निलंबित किया जाना चाहिए। वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बिधूड़ी की गिरफ्तारी की मांग की। पार्टी ने कहा, नफरत भरे भाषण के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं। तृणमूल कांग्रेस की सदस्य महुआ मोइत्रा ने एक्स पर मांग की, प्रधानमंत्री मोदी और लोकसभा अध्यक्ष को बिधूड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। राकांपा प्रवक्ता क्लाइडे क्रास्तो ने सोशल मीडिया पर बयान में सवाल उठाते हुए कहा कि बिधूड़ी को असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने के लिए निलंबित क्यों नहीं किया गया।

…तो इस्तीफा देंगे दानिश

बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने शुक्रवार को कहा कि अगर लोकसभा में अपमानजनक टिप्पणी के लिए भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो वह सदन की सदस्यता छोड़ने पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों ने उन्हें नफरत भरे भाषण सुनने के लिए नहीं चुना है।

अरुणाचल के खिलाड़ियों को वीजा नहीं

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: अरुणाचल के खिलाड़ियों को वीजा नहीं देने पर चीन से भारत ने जताया विरोध। चीन में एशियाई खेलों में शामिल होने से तीन भारतीय वुशू खिलाड़ियों को रोकने पर तकरार बढ़ गई है। भारत ने चीन के कदम पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। साथ ही खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने हांगझोऊ की अपनी यात्रा रद्द कर दिया है। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश की महिला खिलाड़ियों न्येमान वांगसु, ओनिलु तेगा और मेपुंग लाम्गु को मान्यता देने से इनकार कर दिया गया है, जो हांगझोऊ में शुरू हो रहे एशियाई खेलों के लिए वीजा के रूप में भी काम करता। खिलाड़ियों को वुशू दल के आठ अन्य सदस्यों के साथ शुक्रवार रात को भारत से उड़ान भरनी थी, पर उनका ‘एक्रिडिटेशन’ डाउनलोड नहीं हो पाया, इससे उन्हें रुकना पड़ा।

चीन का जवाब

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन सभी देशों के खिलाड़ियों का स्वागत करता है जिनके पास वैध दस्तावेज हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने कभी भी अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी है।

शाही ईदगाह मामले में सुप्रीम कोर्ट का इनकार

जागरण की खबर है: सुप्रीम कोर्ट का शाही ईदगाह में सर्वे की मांग पर विचार से इनकार। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद में सर्वे कराने की श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की मांग पर विचार से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उसे अंतरिम आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने की जरूरत नहीं लगती। सभी मामले हाई कोर्ट स्थानांतरित हो चुके हैं और हाई कोर्ट विभिन्न मुद्दों पर पहली अदालत यानी ट्रायल कोर्ट की तरह विचार करेगा और इस मामले पर भी हाईकोर्ट विचार करेगा। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी। मथुरा की दीवानी अदालत ने श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की पहले शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराए जाने की मांग नहीं मानी थी और अदालत ने कहा था कि वह पहले मस्जिद पक्ष की ओर से मंदिर पक्ष के मुकदमे पर सवाल उठाने वाले अर्जी पर सुनवाई करेगी।

कुछ और सुर्खियां

  • पटना के आशियाना रोड स्थित पासपोर्ट ऑफिस 26 सितंबर से पाटलिपुत्र जाएगा
  • मुखिया लगातार 30 दिन गैर हाजिर रहे तो अगले दिन उप मुखिया को मिलेगी जिम्मेदारी
  • ऑस्ट्रेलिया को हराने के बाद क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में भारत पहले नंबर पर
  • पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर एनडीए में जाएगी
  • आनंद किशोर फिर 3 साल के लिए बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड के अध्यक्ष बने
  • रजत सुप्रीमो लालू प्रसाद से माकपा के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी मिले, सीटों पर की चर्चा
  • अमृतकाल नहीं विषकाल चल रहा है: लालू प्रसाद

अनछपी: उत्तर प्रदेश के अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल सभ्य समाज के लिए कलंक और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए उसी तरह का अत्याचार है जैसा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत जातिवादी शब्दों के इस्तेमाल पर माना जाता है। मुसलमानों से भारतीय जनता पार्टी का वैर भाव किसी से छिपा नहीं है। आरएसएस बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के बारे में यह शिकायत मिलती रही है कि उन्होंने मुसलमान के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है। अब तक ऐसे बिगड़े बोल से संसद बची हुई थी लेकिन लोकसभा में यह मर्यादा भी भंग हो गई। सोचा जा सकता है कि जब किसी सांसद के बारे में ऐसे शब्द प्रयोग किए गए तो आम मुसलमान के लिए क्या स्थिति होगी। केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता अनुराग ठाकुर के वह बोल भी सबको याद होंगे जिसमें नारा लगाया जाता था देश के गद्दारों को, गोली मारो…को। यानी मुसलमान को गद्दार बताना और उन्हें लिए गाली देना एक छोटी सी बात हो गई है। किसी शब्द और लोकतांत्रिक कहे जाने वाले देश में यह किसी तरह स्वीकार्य नहीं हो सकता। अफसोस की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक इस बारे में एक शब्द नहीं कहा और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी महज चेतावनी देकर इस मामले को खत्म करने की कोशिश की है जो बेहद अफसोसनाक है। हमारे समाज में जैसे महिलाओं के खिलाफ फब्ती कसी जाती है, दलितों को जातिवाचक गालियां दी जाती हैं, इस तरह मुसलमान को गालियां देने के लिए भी कुछ शब्द कर लिए गए हैं। यह बात दोहराने की है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है हालांकि यह जरूर है कि संसद में ऐसा पहली बार हुआ। इस तरह मुसलमान को उत्पीड़ित किया जाने के खिलाफ वैसे ही कानून बनाने की जरूरत है जो दलितों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार के बारे में बनाए गए हैं। अब एससी/एसटी ऐक्ट की तरह माइनॉरिटी ऐक्ट भी बनाने की जरूरत है ताकि किसी के खिलाफ ऐसे शब्दों का प्रयोग करने वाला महज माफी मांग कर छूट न जाए और उसे सख्त सजा मिले।

 

 

 

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