छ्पी-अनछ्पी: बाबा रामदेव पर जालसाज़ी का केस चलेगा, ‘आप’ के संजय सिंह को बेल

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पतंजलि कंपनी की दवाओं के बारे में गलत दावा करने के मामले में बाबा रामदेव पर सुप्रीम कोर्ट में जालसाजी का केस चलेगा। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को आबकारी घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल गई है। नवादा और भोजपुर के डीएम और एसपी का तबादला किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से बिहार में नीतीश राज और लालू राज का फर्क बताने को कहा है। यह खबरें आज के अखबारों की प्रमुख सुर्खियां हैं।

भास्कर की बड़ी सुर्खी है: कोर्ट में झूठ बोला, माफी जुबानी दिखावा, जालसाज़ी का केस चलेगा: सुप्रीम कोर्ट। पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक के बावजूद उन्हें प्रसारित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से पेश हुए योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने दोनों की बिना शर्त माफी को जुबानी दिखावा बताकर खारिज कर दिया। कोर्ट ने दो टूक कहा कि आपने कोर्ट में दिए गए वचन का पालन नहीं किया और कोर्ट के आदेशों की अवमानना की है, झूठी अंडरटेकिंग दी। कोर्ट ने कहा- आपने हर सीमा लांघी है। कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को चेताया कि आपने झूठ साक्ष पेश किया और कुछ दस्तावेज बाद में जोड़े, इसलिए आप पर जालसाजी के आरोप लगेंगे। सभी परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। कोर्ट ने कोरोना से बचाव के पतंजलि के झूठे दावों पर सवाल किया के केंद्र ने क्यों कोई कार्रवाई नहीं की।

संजय सिंह को ज़मानत

जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: आबकारी घोटाले में संजय को सुप्रीम कोर्ट से जमानत। दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में 6 महीने से जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमारत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी द्वारा कोई आपत्ति नहीं जताने के बाद मंगलवार को उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत देते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि उनके पास से कोई पैसा बरामद नहीं हुआ और ना ही कोई सुराग मिला है। साथी कहा की जमानत पर छूटने के बाद वह राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं लेकिन इस मामले में कोई बयान नहीं देंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि संजय सिंह के जमानत आदेश को नजीर नहीं माना जाएगा। नज़ीर नहीं माने जाने का असर यह होगा कि आबकारी नीति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत जेल में बंद अन्य आरोपित इस आदेश का लाभ नहीं ले पाएंगे।

नवादा-भोजपुर के डीएम-एसपी बदले

प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: भोजपुर-नवादा के डीएम व एसपी को आयोग ने हटाया। लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के पहले मंगलवार को चुनाव आयोग ने भोजपुरी और नवादा के डीएम और सपा को उनके पद से हटा दिया है। चुनाव आयोग ने आदेश जारी कर राज्य सरकार को दोनों जिलों के डीएम और एसपी के लिए तीन-तीन अधिकारियों के नाम भेजने को कहा है। चुनाव आयोग द्वारा राज्य सरकार को भेजे निर्देश के मुताबिक 2010 बैच के आईएएस अधिकारी राजकुमार को भोजपुर के डीएम और 2017 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रमोद कुमार यादव को भोजपुर के एसपी पद से हटाने का आदेश दिया गया है। इसी तरह 2010 बैच के आईएएस अधिकारी आशुतोष कुमार को नवादा के डीएम और 2017 बैच के आईपीएस अधिकारी अंबरीश राहुल को नवादा के एसपी पद से हटाने का आदेश दिया गया है।

मोदी का संदेश: नए वोटरों को फ़र्क़ बताएं

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के भाजपा कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है कि राज्य के लोगों को जंगलराज व नीतीश राज का फर्क बताएं। विशेषकर नए वोटर जिनका उस समय जन्म नहीं हुआ होगा, उन्हें बताए कि जंगलराज में क्या-क्या होता था। किस तरह महिलाएं घरों से बाहर नहीं निकलती थीं। मंगलवार को बिहार के सभी बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं व नेताओं से वर्चुअल वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री ने पांच बूथ अध्यक्षों से बातचीत की।

अजय निषाद कांग्रेस में

मुजफ्फरपुर से सांसद अजय निषाद ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। निषाद वर्ष 2014 व 2019 में दो बार इस सीट से सांसद रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें मुजफ्फरपुर से उम्मीदवार बना सकती है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश, वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा और प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह की मौजूदगी में मंगलवार को कांग्रेस मुख्यालय में अजय निषाद पार्टी में शामिल हुए। खेड़ा ने कहा कि अजय निषाद हमेशा अति पिछड़ों की आवाज उठाते रहे हैं। कांग्रेस में शामिल होने के बाद अजय निषाद ने कहा कि उन्हें किसी का अहंकार तोड़ना है और अपना खोया हुआ सम्मान वापस पाना है। निषाद ने यह भी कहा कि भाजपा में धन बल और बाहुबाल से राजनीति हो रही है।

भाजपा में शामिल न हुईं तो…

प्रभात खबर की खबर है कि आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली की मंत्री आतिशी ने मंगलवार को दावा किया कि उनके एक करीबी ने उनसे कहा था कि उन्हें भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए या एक महीने के भीतर ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि उनके अलावा आम आदमी पार्टी के तीन नेताओं- दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज, विधायक दुर्गेश पाठक और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को भी गिरफ्तार किया जाएगा।

कुछ और सुर्खियां

  • कांग्रेस की नई लिस्ट में कटिहार से तारिक अनवर, किशनगंज से मोहम्मद जावेद और भागलपुर से अजीत शर्मा उम्मीदवार
  • पटना हाई कोर्ट का आदेश: सक्षमता परीक्षा सही लेकिन पास करना अनिवार्य नहीं, फेल होने वालों की नौकरी भी नहीं जाएगी
  • पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की 33 साल की संसदीय पारी पूरी
  • बूढ़ा हो रहा केरल पहली बार नए वोटर 80+ वालों से 57 फ़ीसदी कम
  • भोजपुर के उदवंत नगर थाना क्षेत्र में पुरानी दुश्मनी में पिता पुत्र की गोली मारकर हत्या
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल जमुई और 7 अप्रैल को नवादा में करेंगे जनसभा

अनछपी: मीडिया में कैसे किसी खबर को दबाया जाता है इसका एक उदाहरण आज के हिंदी अखबारों को देखकर लगता है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव के बारे में काफी कठोर टिप्पणियां की है लेकिन मीडिया में इस पर शायद ही कोई चर्चा दिख रही हो। आयुर्वेद दावों के बारे में गलत दावे करने वाले रामदेव पर सुप्रीम कोर्ट को और क्या कहना चाहिए था? भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में सबसे ज़्यादा फले-फूले रामदेव को मीडिया से भी बहुत साथ मिलता रहा है। भास्कर को छोड़ हिंदी के प्रमुख अखबारों ने इस खबर को लगभग दबा दिया। अखबार के संपादकों ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। इसकी वजह शायद रामदेव की कंपनी पतंजलि से मिलने वाला भारी भरकम विज्ञापन हो। यह भी हो सकता है कि रामदेव को भारतीय जनता पार्टी की सरकार से मिलने वाले समर्थन के कारण मीडिया ने उनके बारे में सुप्रीम कोर्ट की कठोर टिप्पणी को जगह नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयुष विभाग के 42 पेज के हलफनामे को देखकर लगता है कि पतंजलि को लेकर सरकार ने आंखें मूंद रखी हैं। यही बात मीडिया के बारे में भी कहीं जा सकती है कि उसने रामदेव के झूठे दावों के सिलसिले में आंखें मूंद रखी हैं। यही नहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने भी रामदेव को काफी छूट दे रखी थी। सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि सरकार ने उन्हें चेतावनी दी थी तो कोर्ट ने कहा की चेतावनी देना काफी नहीं था, अनुपालन न करने पर कठोर कार्रवाई की जानी थी। रामदेव भारतीय जनता पार्टी के साथ थे और भारतीय जनता पार्टी रामदेव के साथ। दोनों एक दूसरे के सहयोगी बने हुए हैं। जैसे भारतीय जनता पार्टी पर यह आराेप लगता है कि वह देश सेवा का बहाना बनाकर अपनी पार्टी के नेताओं को आगे बढ़ाती है उसी तरह कोर्ट ने बाबा रामदेव से यह भी कहा कि आप देश सेवा का बहाना मत बनाइए। देश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले पतंजलि के प्रोडक्ट्स के बारे में मीडिया को जागरूकता फैलानी चाहिए थी लेकिन उसने तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कवरेज को भी दबा दिया। सुप्रीम कोर्ट का यह मामला  केवल रामदेव के भ्रामक विज्ञापनों की ओर ध्यान नहीं दिलाता बल्कि यह एक मिसाल है कि कैसे मीडिया कैसे गोदी मीडिया बना रहता है।

 

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