छपी-अनछपी: कर्नाटक के सीएम पर सस्पेंस जारी, महाराष्ट्र के अकोला में सांप्रदायिक दंगा-कर्फ़्यू

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी सिद्धारमैया को मिलेगी या डीके शिवकुमार को इस पर सस्पेंस अभी खत्म नहीं हुआ है। यह खबर लीड बनी है। महाराष्ट्र के अकोला शहर में द केरला स्टोरी को लेकर किए गए सोशल मीडिया पोस्ट पर दंगा भड़क गया जिसमें एक व्यक्ति की मौत होने के बाद कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। हिंदी अखबारों में इसे खास तवज्जो नहीं दी गई है। ‘मोचा’ नाम के तूफान से बांग्लादेश और म्यांमार में तबाही की खबर भी प्रमुखता से ली गई है। उधर पाकिस्तान में इमरान खान की रिहाई का आदेश देने वाले चीफ जस्टिस के खिलाफ खुद सरकार आज से धरना देगी। विदेश की खबरों में यह महत्वपूर्ण है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: खरगे चुनेंगे कर्नाटक का नया मुख्यमंत्री। भास्कर ने लिखा है: सिद्धारमैया को अनुभव का फायदा मिलेगा या डीके को तपस्या का फल। हिन्दुस्तान की सुर्खी है: आलाकमान के पाले में गेंद, मुख्यमंत्री पर फैसला जल्द। कर्नाटक में बहुमत मिलने के बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्री के नाम का फैसला अंततः आलाकमान करेगा। रविवार देर शाम विधायक दल की बेंगलुरु में हुई बैठक में यह निर्णय हुआ। इस बैठक में मुख्यमंत्री पद के दोनों प्रमुख दावेदार सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के अलावा केंद्रीय पर्यवेक्षक भी शामिल हुए। बैठक में सभी विधायकों ने प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री का नाम चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दिया है। बैठक के दौरान होटल के बाहर शिवकुमार और सिद्धरमैया के समर्थक नारेबाजी करते रहे। सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार सोमवार को दिल्ली पहुंच सकते हैं।

महाराष्ट्र में दंगे के बाद कर्फ़्यू

हिन्दुस्तान में खबर है: अकोला में दो समूहों के बीच झड़प, एक व्यक्ति की मौत। महाराष्ट्र के अकोला शहर में एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प हो गई। घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई है और दो पुलिसकर्मियों समेत आठ लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि झड़प के बाद धारा 144 लगा दी गई है। पुलिस अधीक्षक (एसपी) संदीप घुगे ने बताया कि किसी सोशल मीडिया मंच पर एक धार्मिक पोस्ट के वायरल हो जाने के बाद हिंसा हुई। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक यह सोशल मीडिया पोस्ट द केरला स्टोरी के बारे में थी जिसमें इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी।

मोचा तूफान से भारी बारिश

हिन्दुस्तान के देश-दुनिया पेज की सबसे बड़ी खबर है: बांग्लादेश और म्यांमार के तटीय क्षेत्रों से टकराया चक्रवात मोचा। चक्रवात ‘मोचा’ रविवार को बांग्लादेश और म्यांमार के तटीय इलाकों से टकराना शुरू हो गया। इसके कारण दोनों देशों के तटीय इलाकों में भारी बारिश हो रही है। साथ ही 195 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं। इससे बंगाल की खाड़ी के आसपास के इलाकों में खतरनाक बाढ़ आने की संभावना है। चक्रवात के कारण बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी सीमावर्ती कॉक्स बाजार में पेड़ गिर गए। बचावकर्मियों ने बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।

चीफ जस्टिस के खिलाफ सरकार का धरना

भास्कर के देश-विदेश के पन्ने पर सबसे बड़ी सुर्खी है: इमरान को रिहा करने वाले चीफ जस्टिस के खिलाफ आज से धरना देगी सरकार। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी और फिर सुप्रीम कोर्ट की ओर से राहत दिए जाने के बाद सरकार आरपार के मूड में आ गई है। पीएम शाहबाज शरीफ के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ धरने का ऐलान किया है। पीडीएम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने आरोप लगाया कि न्यायपालिका इमरान खान का पक्ष ले रही है। धरना मुख्य न्यायाधीश उमर अता बांदियाल के इस्तीफा तक जारी रहेगा।

प्रवीण सूद नए सीबीआई डायरेक्टर
कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रवीण सूद को सीबीआई का अगला निदेशक नियुक्त किया गया है। रविवार को एक सरकारी आदेश में यह जानकारी दी गई। सूद कर्नाटक कैडर के 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं। सीबीआई निदेशक सुबोध कुमार का कार्यकाल 25 मई को समाप्त होगा। हालांकि इनके नाम पर चयन समिति के सदस्य कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने विरोध दर्ज कराया था। 3 सदस्य चयन समिति में प्रधानमंत्री, मुख्य विपक्षी दल के नेता और सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रहते हैं।

हर जिले में मॉडल स्कूल

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: हर जिले में आवासीय मॉडल स्कूल खुलेंगे। राज्य सरकार जिलों में मॉडल स्कूल को आवासीय विद्यालय की तर्ज पर विकसित करेगी। इसके लिए शिक्षा विभाग व्यापक कार्ययोजना बना रहा है। यही नहीं यह श्रेष्ठ स्कूलों का समेकित रूप होगा। यहां 60 लड़के व 60 लड़कियों का चयन हर साल किया जाएगा। इसमें उनके रहने, खाने-पीने के साथ-साथ बेहतर अध्यनन की व्यवस्था की जाएगी। यही नहीं उन्हें पठन-पाठन से इतर भी कई अन्य चीजें सिखलायी जाएंगी। शिक्षा विभाग इन स्कूलों को देश के टॉप विद्यालयों में शामिल कराने की योजना बना रहा है।

कुछ और सुर्खियां

  • तुर्की में राष्ट्रपति पद के चुनाव में रजब एर्दोआन आगे
  • मणिपुर में नगा विद्रोही कुकी आदिवासियों को एकजुट कर रहे
  • पटना के दीघा घाट पर गंगा में तीन रिश्तेदारों समेत चार युवक डूबे
  • पटना नगर निगम ने 60 हज़ार कुत्तों की नसबंदी का ठेका उस संस्था को दिया जो रजिस्टर्ड नहीं
  • सिपाही भर्ती परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल करा रहे नौ गिरफ्तार
  • मणिपुर के सीएम दिल्ली रवाना, ताजा हिंसा के बाद मरने वालों की कुल संख्या 73
  • पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की भीड़ और गर्मी से कई बेहोश, दिव्य दरबार स्थगित

अनछपी: लोकतंत्र में चार स्तंभों की बात कही जाती है लेकिन पाकिस्तान में एक पांचवा स्तंभ है जिसे सेना कहा जाता है और वह सब पर भारी रहती आई है। सेना के सामने बाकी चारों स्तंभ बौने नजर आते हैं लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा सेना को सीधे चुनौती दिए जाने से परिस्थितियां कुछ अलग नजर आती हैं। न्यायपालिका को लोकतंत्र के चार स्तंभ में प्रमुख स्थान प्राप्त है लेकिन इस समय उसे पाकिस्तान के लोकतंत्र के पांचवे स्तंभ सेना से गंभीर चुनौती का सामना है। सेना पाकिस्तान की न्यायपालिका का विरोध अभी खुलकर नहीं कर रही है बल्कि इसके लिए वह सत्ताधारी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट का इस्तेमाल कर रही है। तथाकथित अलकादिर ट्रस्ट घोटाले के मामले में इमरान खान को अपहरण के अंदाज में गिरफ्तार करने का आरोप भी सेना पर लगा है और तब से इमरान खान सेना पर हमलावर हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में काफी तोड़फोड़ का नजारा देखने को मिला है जिसके बाद सेना और इमरान के बीच की तल्खी चरम पर है। जब इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए रिहा करने का आदेश दिया कि उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी थी तो सत्ताधारी दलों ने इसका विरोध किया। अब नौबत यह हो चुकी है कि सत्ताधारी दल पाकिस्तान के चीफ जस्टिस के खिलाफ धरना देने वाले हैं। इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि धरना को सेना का समर्थन है और सेना वास्तव में न्यायपालिका के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार सत्ताधारी दलों के जरिए कर रहा है। ऐसे में कई विश्लेषकों को लगता है कि पाकिस्तान लंबे समय तक मिलिट्री शासन से दूर रहने में सफल नहीं होगा। इस जद्दोजहद में या तो इमरान खान को सदा के लिए जेल में रहना होगा या पाकिस्तानी सेना के साथ कुछ ऐसा होगा जो उसके देश के इतिहास में अब तक नहीं हुआ।

 

 

 

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