छ्पी-अनछ्पी: नीतीश पर दरवाज़ा बंद करने वाली भाजपा मारेगी पलटी? ज्ञानवापी मस्जिद पर विवादित बयान

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बीजेपी का दरवाजा बंद करने वाली भारतीय जनता पार्टी क्या एक बार फिर पलटी मारकर उन्हें अपने साथ ले लेगी? आज के अखबारों में सबसे बड़ी चर्चा इसी पर है। उधर बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में एक विवादित दावा किया गया है कि वहां हिंदू मंदिर था। इस खबर को भी अच्छी कवरेज मिली है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बिहार भाजपा के सभी बड़े नेता दिल्ली तलब। बिहार में सत्ता समीकरण बदलने के कयासों के बीच गुरुवार को पटना से दिल्ली तक बैठकों का दौर चला। बिहार भाजपा के बड़े नेताओं को दिल्ली बुलाया गया। वहां पहले बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े के आवास पर बैठक हुई। इसके बाद सभी नेता गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर गए। वहां करीब पौने दो घंटे तक चली बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे। वहीं, रात में पटना में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जीतनराम मांझी से मुलाकात की। जबकि चिराग पासवान ने भी अपने आवास पर पार्टी नेताओं संग बैठक की। चर्चा है कि दिल्ली में कल वे गृहमंत्री से मुलाकात करेंगे।

राजनीति गर्म

जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: राजनीति गर्म, अगले तीन दिन निर्णायक। बिहार की राजनीति में हलचल तेज है। राजद और जदयू में संवादहीनता और असहजता की स्थिति बता रही है कि ग्रह नक्षत्र का संयोग बिगड़ चुका है। भाजपा-जदयू की बिखरी हुई पुरानी कड़ियां फिर से जुड़ने लगी हैं। माना जा रहा है कि अगला दो-तीन दिन बिहार की राजनीति के लिए तीन दिन निर्णायक साबित होने वाला है।

सियासी हलचल तेज

प्रभात खबर की पहली सुर्खी है: बिहार में सियासी हलचल हुई तेज, पटना से दिल्ली तक बैठकों का दौर। गुरुवार की सुबह शुरू हुई राजनीतिक गतिविधियों ने शाम होते-होते सत्ता समीकरण में बड़े बदलाव की अटकलों को ऐसी हवा दी की पटना से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक माहौल गर्म हो गया। हालांकि जदयू, राजद और भाजपा की ओर से इन गतिविधियों को लेकर कोई आधिकारिक बयान तो जारी नहीं किया गया है पर सत्ता के गलियारे में चल रही हलचल से ऐसा अनुमान किया जा रहा है कि कोई बड़ा बदलाव हो सकता है।

बदलने वाला है बिहार!

भास्कर की सुर्खी है: बदलने वाला है बिहार! नीतीश कुमार और लालू प्रसाद फिर अलग होंगे? राजनीतिक गलियारे को यह इकलौता सवाल दिन भर मटता रहा पूर्ण राम गुरुवार को इस संभावना को और ताकत तब मिली जब भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी को पार्टी नेतृत्व में अचानक दिल्ली बुला लिया। वहां बड़ी बैठक हुई। भाजपा ने अपने तमाम विधायकों को राजधानी पटना में रहने को कहा है। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार भी अपनों से बतियाते रहे। हालांकि खुले तौर पर जदयू-राजद के नेता इन सब बातों को अफवाह बताते रहे और सब कुछ ठीक होने का दावा भी करते रहे। आरोप लगाया कि यह भाजपा की ओर से फैलाई गई भ्रम की राजनीति है जिसकी ट्रैप में मीडिया भी है।

ज्ञानवापी मस्जिद पर विवादित दावा

हिन्दुस्तान की खबर है: दावा: ज्ञानवापी में मस्जिद से पहले हिंदू मंदिर था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने वैज्ञानिक सर्वे में कहा कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद ढांचा (मस्जिद) से पहले वहां हिन्दू मंदिर था। सर्वे में मंदिर से जुड़े 34 साक्ष्य सामने आए हैं। ढांचे की पश्चिमी दीवार प्राचीन मंदिर की है, जिसके ऊपर दूसरा ढांचा बनाया गया है। वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार को सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद यह जानकारी दी है। विष्णु शंकर जैन ने बताया कि एसएआई ने 91 दिन के सर्वे के बाद 839 पेज की रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी थी। इस रिपोर्ट के 22 पेज के निष्कर्ष में बताया है कि वर्तमान ढांचा दो सितंबर 1669 के आसपास का है, उसके पूर्व वहां काफी प्राचीन मंदिर रहा होगा। इसके साक्ष्य जीपीआर तकनीकी से जांच में सामने आए हैं।

हादसे में पांच की मौत

प्रभात खबर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: खराब ट्रक बना रहे थे, हाईवा ने मारी टक्कर, पांच की मौत। पटना जिले के विक्रम में एनएच 139 पर सैदाबाद चौक के पास गुरुवार की देर रात तेज गति से आ रहे हाईवा ने सड़क किनारे खड़े खराब ट्रक में पीछे से टक्कर मार दी। इस भीषण हादसे में ट्रक चालक सहित पांच लोगों की घटना स्थल पर ही मौत हो गई। मृतकों में देर रात तक दो की पहचान हो पाई थी। बताया जाता है की रानी तालाब के सैदाबाद चौक के पास देर रात करीब 10:30 बजे एक ट्रक खराब हो गया था पूर्ण राम चालक आसपास से तीन मैकेनिकों को बुलाकर लाया। चालक और तीनों मैकेनिक ट्रक को जैक पर खड़ा कर अंदर घुसकर गियर बॉक्स निकल रहे थे। इसी दौरान पीछे से आ रहे एक हाईवा ने ट्रक में जोरदार टक्कर मार दी। इससे ट्रक के नीचे लगाया गया जैक गिर गया और अंदर काम कर रहे ड्राइवर और तीनों मैकेनिक ट्रक के नीचे दब गए।

अन्याय से लड़ेगा ‘इंडिया’

हिन्दुस्तान की खबर है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को विश्वास जताया कि विपक्षी इंडिया गठबंधन देशभर में अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेगा। एक दिन पहले ही ‘इंडिया’ के घटक दल तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने गुरुवार को असम से पश्चिम बंगाल में प्रवेश किया और यह कूच बिहार जिले के बशीरहाट पहुंची।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार के सीपी ठाकुर, सुरेंद्र किशोर, बिंदेश्वर पाठक समेत 7 को पद्म सम्मान
  • बिहार बार काउंसिल चुनाव में सातवीं बार जीते मनन मिश्रा
  • बिहार का अगले वर्ष का बजट तीन लाख करोड़ रुपए का होगा
  • राहुल गांधी की पूर्णिया सभा में शामिल नहीं होंगे नीतीश कुमार
  • जयपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ रोड शो

अनछपी: एक तरफ पूरा भारत गणतंत्र दिवस मना रहा है तो दूसरी ओर बिहार में लोकतंत्र डांवाडोल नजर आ रहा है। इस समय सबसे बड़ी चर्चा यह है कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के साथ मिल जाएंगे लेकिन जो सवाल नहीं पूछा जा रहा है वह यह है कि क्या नीतीश कुमार के लिए अपना दरवाजा बंद करने की घोषणा करने वाली भारतीय जनता पार्टी पलटी मार कर उन्हें फिर अपने साथ लेने को तैयार हो जाएगी। मीडिया के एक बड़े वर्ग की यह इच्छा रही है कि नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के साथ हो जाएं और उसी के हिसाब से मीडिया में यह अफवाहें भी फैलती रही हैं। अगर उन अफवाहों को सच भी मान लिया जाए तो सवाल यह है कि पलटी मारने का इल्जाम अकेले नीतीश कुमार पर क्यों लगे, भारतीय जनता पार्टी से इस बारे में सवाल क्यों न पूछा जाए? पलटी करने के कारण राजद के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी भी नीतीश कुमार पर सिद्धांत विहीन राजनीति करने का आरोप लगाती रही है। बिहार भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने तो यह कर रखा है कि वह जो साफा लग रहे हैं वह तब तक नहीं उतारेंगे जब तक कि नीतीश कुमार को गद्दी से हटा नहीं देंगे। अपने विवादित बयानों के लिए मशहूर भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने भी कहा कि नीतीश कुमार के लिए मायके का यानी भाजपा का दरवाजा बंद है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी कह चुके हैं कि नीतीश बाबू के लिए भाजपा का दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो चुका है। तो आखिर क्या मजबूरी आन पड़ी कि उसे दरवाजे को नीतीश कुमार के लिए खोलने की चर्चा तेज हो गई है। खासकर ऐसे माहौल में जबकि राम मंदिर के उद्घाटन के बाद यह माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तेज हुआ है। ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी बिहार में सिर्फ राम लहर को लेकर निश्चित नहीं है और वह कर्पूरी ठाकुर के बहाने ओबीसी वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है। तो क्या नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने के बहाने ही भाजपा के करीब होने वाले हैं? भाजपा और जदयू के पुनर्मिलन के बारे में मीडिया में जो बात सबसे मजबूती से बताई गई है वह यह है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है। यह बैठक आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए बुलाई जा सकती है और यह भी संभव है कि नीतीश कुमार को साथ लेने के बारे में उनकी राय लेने की के लिए भी बुलाई गई हो। जो भी हो अगर नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के साथ जाते हैं तो यह उनकी विश्वसनीयता पर सबसे बड़ा आघात होगा और भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांत विभिन्न राजनीति भी सामने आएगी।

 

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